Sunday, April 13, 2014

मुल्ल्याची बांग

हमारा मोहल्लाच हरामी. सुब्बे सुब्बेकू हमारा म्हमद्या उठाने कू आया, बोला, अब्बा, देखो ये अखबारवाला क्या बोंब मार रहेला है. मैं बोला, गुरुवार है, सोने दे और. तबी बोला, आप मेरेकू हम्मेशा गाली देते ना? अब ये देखो पढो. मैं बोला तेरे कू गाली ऐसेही नै देता मैं. हम्मेशा कुच तो लफडा करके आता है  बाहर. लोगां आके मेरेकू गाली देते, गफूरने अपने बेटे को लाईनमें नई रख्खा. अख्खा मिरज शहर जानता है गफूर खाटीक कब्बी बेईमानीसे कुच काम नै किया, लेकिन अब ये म्हमद्याकी वजेसे सुनना पडता है. कितनी बार बोला मैं तेरेकू म्हमद्या, ये तेरे बिनकाम के दोस्त है ना, उनके साथ घूमना छोड दे. एक दिन भोत पडेगी. किसकी मुर्गी चुरा के आया आज बोल! उस दिन वो पवार बोंब मार रहा था,"गफूर, और कोई होईच नै सकता, तेरे बेटे और उसके दोस्त लोगही उठाके लेके गये है. अबतो मेरी मुर्गी बिर्यानीमें सो रही होंगी. कुच तो समझा अपने बेटे को. फुक्कट जा राहा वो." क्यू मेरे को शरम में डालता रे? उसको सौ रुपया देके और चार गाली और सुनके वापस आया मैं. उपरसे ये इमाम आके मेरेकू बोलता है,"गफूर, तू इतना मत चिड. ये लोग अपने कौमपे ऐसेच आरोप करते. लेकिन हमभी ऐसे नही सुनेंगे. हम को एक रेहना होगा." साला ये इमामकू कौमकी कुच पडी नै है. रोज शाम पाटीलसाब के बंगलेपे जाके उसके साथ पीता है. मुर्गी चुराने का मामला है इसमे कौम क्यू ला रहा ये? पाटीलसाब इलेक्शन लड रहा है, वो इसको पिला रहा है, और ये उसको बोल के आया होगा, तुम फिक्करच नक्को करू पाटीलसाब, ये मोहल्लेके सब वोट तुमको, ये मेरा वादा. मोहल्लेवाले मेरे शब्दके बाहर नै. हमको हमारी पेट की पडी है, और ये कौम कौम करते घूमरा है. हमारा मोहल्लाबी उसके पीचे जाताय.

और ये म्हमद्या अब मेरेको अखबार दिखारा है. मैं बोला तूईच पढ के बोल, मेरेको थोडेही पढने को आताय. अख्खा जिंदगी मुर्गी बकरी काटनेमे गया, मेरे अब्बाने कबी इस्कूल में जाने का चानसबी नै दिया. मेरेको बोलता था, अपना जिंदगी ऐसेच कटेगा. मैं थोडा अलग सोचा, सोचा साला अपना जिंदगी तो ऐसा जायेगा, लेकिन अपना बच्चा इस्कूल में जायगा, अच्चा कपडा पेनके ऑफिसमें जायगा. इसलिये ये म्हमद्याकू हम्मेशा बोलता, लफडे मे मत पड, पढाई कर. लेकिन मेरेकू अब लगताय अपने मोहल्लेवालोंको सुदरनाईच नै है. इलेक्शनके टायमपे जो कमाई होता है उसमेही खुश  रेहताय ये लोग. पाटीलसाब जैसा लोग है वो लोग बी येईच चाहते. अगर हमारा बच्चा लोग पढ के सुदर जायगा तो अपना दिमाग लगाके वोट देगा, फिर तो वोटबँक गयी. इसलिये हमारे बच्चे कुच बी गलत काम करे, कब्बी "अंदर" नै गये. अगर पकडके स्टेशन ले गये तो उधर पाटीलसाब का फोन आ जाताय, छोड दो अपने बच्चे है. फिर ये बच्चे चड जाके कुच बी करते रेहतेय. साला सिर्फ वोट के लिये. जिस दिन हमारी कौम पढलिख कर कुच बने, फिर तो कोई नै पूछेगा. साला कोई नै बोलता तुम इंडियन पेहेले है, बाद में मुसलमान. मेरे जैसे भोत लोग है जो पेले इंडियन है, लेकिन उनको हम जैसे लोग नै चाहिये.

लेकिन आज तो हद हो गई. म्हमद्या अखबार पडकर जो सुनाया, मेरी तो खोपडी सनक गई. ये साला मुलायम सिंग जो बक गया. साला किसी लडकी का रेप हो गया, और ये हरामी बोलता है जाने दो, बच्चे है, गलती तो करेंगे. ये जो मुलायम सिंग बोला ना, ये साला अपने मुल्लासे बी बदतर है. इसको वोट की पडी है. एक लडकी की जिंदगी बरबाद हो गई, और ये हरामी ऐसा बोलताय जैसा बच्चोने एक खिलौना क्या तोड दिया. कितना गिरेगा मुलायम तू वोट के लिये. तेरी बेटी होती तो ये बोलता तू? कुच बोल नै सकता, बोल बी सकताय, पालीटिक्सने तुजे बिलकुल हरामी बना दिया है. इसको लेडीज लोगोंकी इज्जत की कुच पडी नै, और हमारा मसीहा बन रहा है. तेरेकू इतनीईच पडी है हमारे कौम की, तो पेले ये वोटके लिये हमारी xx चाटना बंद कर. हमे इंडियन बनके एक इन्सान की जिंदगी जीने दे.

म्हमद्या मेरेकू बोलताय, और अब्बा तुम मेरेको एक मुर्गी चुराया तो इतना बोलताय. मै बोला चूप कर! एक लगाके दूंगा कान के नीचे. गुनाह गुनाह होताय. आजतक सबने हमारा वोटके लिये वापर किया. तुम तो सुदर जाव, इस्कूलमें जाव, बडा बनो, इंडियन बनो, इन्सान बनो. ये मुलायमसिंग जैसा गावठी मुल्ला है उनकी दुकान बंद करो, वोट के लिये ये बांग देरा है उसको बंद करदो.


 

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