सुबह सुबह याद आया
उस दिन हम दोस्त पीने बैठे थे
आंखोसे मानूस सारे चेहरे थे सुनेसुनाये
हर एक के बीवीने थे प्यारके शब्द जो सुनवाये
सोडा लाये, डीएसपी मंगवाये
और चार बूँद दोस्तों के नाम छिडकवाये
जो नही धीरज जुटा पाये
तंगडी कबाब, चिकन लॉलिपॉप के ऑर्डर दिये
पोटलीमें मेरे मैंने चणे और खारे शेंगदाणे लाये थे
आँख खुली तो बारमें कोई नही था
हाथ लगाकर देखा सर बहुत दर्द कर रहा था
करवट बदलके देखा, गल्ले पे शेट्टी फूट फूटके रो रहा था
और होठोंपर वो डीएसपी का ज़ायक़ा ज़ोरोंसे बास मार रहा था
दोस्त सब भाग गये शायद, बिना बिल भरे ही भागे शायद..
सुना है कल रात आयी थी पुलिस की टोली
सुना है कल रात किसीने बहोत राडा किया है
No comments:
Post a Comment